अतुल राजा कुजूर की कहानी इस लेख पर प्रकाशित हो गई है।
एक दिन के बात है। बहुत सालों के बाद 12:00 बजे अमावस्या की रात में शिशु जन्म और इसी दिन कड़ाके की ठंड थी।मोहल्ले के लोग और परिवार के लोग शिशु को जब देखा तो कहने लगे कि यह बच्चा दो-तीन दिन के अंदर मर जाएगा और पंडित जी कहने लगे कि यह बच्चा नहीं मरेगा तो बच्चा बड़ा होकर आदर- सत्कार ,चहल-पहल और बड़ा आदमी बन कर दूसरों को सहायता करने वाला यह पहला व्यक्ति बनेगा।
इन सब कहने के बाद मुझे अनाथालय में भेजने की तैयारी कर रहे थे कि उसी वक्त मुझे फूफा ने लोगों से कहा कि यह बच्चे को पालन पोषण में करूंगी और लिखाई-पढ़ाई में ही करवाऊंगी इस बच्चे को शपथ दे डाली।परिवार वाले लोग कहने लगे फूफा आप इस बच्चे को नहीं पा लो वह कभी भी किसी भी वक्त मर जाएगा, इसी वक्त तुरंत बोली कि ये बच्चे को मैं ही पालुंगी और यह बच्चे को कहीं भी जाने नहीं देंगे, ऐसा बोलने वाली पहली औरत इस परिवार की अब आगे क्या हुआ जानने की।
बहुत दिनों के बाद यह बच्चा 4 साल हो गया मेरे दादा ने मुझे गोकुल का नाम दे दिया, जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती गई वैसे-वैसे उसका नाम बदलते गया। इसके बाद मेरे माताजी ने राजा के नाम संबोधन करने लगी वह भी 5 साल की उम्र में।
Aapka कहानी सुनकर तो मुझे शौक लग गया, मुझे तो लगा ही नहीं था कि आप रहेगें
ReplyDeleteVery interesting poet
ReplyDeleteTumhara kahani bahut hi lajawab hai aur kahani me dum tha sunne me
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