कहानी अंधविश्वास की राजनरायन पर आधारित भुल।
राजनारायन की कहानी अंधविश्वास पर
एक बार राजनारायन को अपने दफ्तर किसी आवश्यक काम से मुंबई जाना था। वे तैयार होकर स्टेशन के लिए निकल ही रहे थे कि पीछे से उनके नौकर के छींकने की आवाज सुनाई दी। यह सुनकर राजनारयण की मां ने पहले तो अपने नौकर को जी भरकर कोसा और फिर राजनारयन से बोली,
"बेटा, थोड़ी देर ठहर कर जाओ,, इस नौकर को भी अभी छींककर अपशकुन करना था।"अपनी मां की बात सुनकर राजनारयण मुस्कराकर बोले,"मां! नौकर की तो तीन दिन से तबियत खराब है। जुकाम के समय तो छींक आएगी ही। इसमें भला कैसा अपशकुन!"राजनारयन के समझाने पर भी उनकी मां ने उन्हें उस समय जानें से रोक दिया।
थोड़ी देर बाद राजनारायणं जानें के लिए निकले ही थे कि तभी एक बिल्ली उनका रास्ता काटकर निकल गईं। यह देखकर राजनरायण की मां पर तो जैसे वज्रपात हों गया। उन्होंने तुरंत राजनारायण का हाथ पकड़कर उन्हें रोक लिया और उस बिल्ली को खुब गालियां दी। राजनरायन ने जब उन्हें समझाने की कोशिश की तो वे बोलीं,"बेटा बिल्ली रास्ता काट दे, तो वह बहुत बड़ा अपशकुन होता है। उस समय कहीं जाना ठीक नहीं होता।"राजनरायन अपनी मां की बात सुनकर चुप होकर उनके पास बैठ गए।
कुछ देर बाद वे घर से स्टेशन के लिए निकले। स्टेशन पहुंचकर उन्हें पता चला कि उनकी ट्रेन तो छूट गई। यह देखकर उनको बहुत गुस्सा आया और वे चुपचाप अपने घर की ओर चल दिए। अपनी मां के अपशकुनो के कारण राजनरायन का आवश्यक काम पूरा नहीं हों पाया और उन्हें उसका नुकसान उठाना पड़ा।
राजनरायन अपने काम के सिलसिले में मुंबई नहीं जा सके क्योंकि उनकी मां अंधविश्वास ने बार बार उन्हें घर से निकलने से रोक दिया। बिल्ली के रास्ता काट देने से या किसी के छींक देने से भला शकुन या अपशकुन कैसे हों सकता हैं। बिल्ली एक स्वतंत्र प्राणी हैं, वह जब चाहे, जहां चाहे आ जा सकती हैं।
इस संसार में आपको ऐसे अनेक लोग मिलेंगे जो छोटी छोटी बातों में अपशकुनढूंढ लेते है, ऐसे लोग अंधविश्वासी कहलाते हैं।
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